न्याय ना मिलने के कारण, सैंकड़ो किसानों ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजा सामूहिक आत्महत्या की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र
सत्यखबर जुलाना (जयबीर सिंह) – लंबे समय से किला ज़फरगढ़ गांव में धरने पर बैठे किसानों के सब्र का बांध टूटता नज़र आ रहा है। जुलाना क्षेत्र के 7 गांव व दादरी ज़िले के 17 गांव के किसान, राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी के निर्माण के लिए किए जा रहे ज़मीन अधिग्रहण में उचित मुआवज़े की मांग को लेकर रमेश दलाल के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे है। लंबे समय से सरकार से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे किसानों ने परेशान हो कर आखिरकार प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को सामूहिक आत्महत्या की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र लिखा है।
मामले की जानकारी देते हुए किसान नेता रमेश दलाल ने बताया कि कानून किसानों के पक्ष में होने के बावजूद भी किसान पिछले 5 महीने से सड़क पर आंदोलन कर रहे है। 12 जून को किसानों व सरकार के बीच उच्च स्तरीय मीटिंग में इस बात पर सहमति बन गई थी कि किसानों को उचित मुआवजा देने के लिए संशोधन किया जा सकता है। अवार्ड में संशोधन व नए मार्किट मूल्य तय करने के लिए उपायुक्त जींद ने 19 जून को मीटिंग बुलाई है। रमेश दलाल ने बताया कि किसानों को इस बात का डर है कि अधिकारी इस मामले में की गई उनके द्वारा गलतियों को छुपाने के लिए किसानों के साथ न्याय नही करेंगे तथा नए संशोदित अवार्ड में भी किसानों को उनकी जमीन का मार्किट मूल्य के हिसाब से मुआवज़ा नही दिया जाएगा।
किसानों द्वारा राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को लिखे अनुमति पत्र के बारे में जानकारी देते हुए रमेश दलाल ने बताया कि अब किसानों के सब्र का बांध टूट चुका इसलिए वह सामूहिक आत्महत्या की अनुमति मांग रहे है। किसानों ने अपने पत्र में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को अपना दुख साँझा करते हुए लिखा है “आत्महत्या के अलावा हमारे पास दूसरा और कोई रास्ता नहीं बचा है। कानून हमारे पक्ष में होने के बावजूद हम पिछले ५ महीने से सड़क पर बैठे है, आंदोलन कर रहे है। हम अपना अधिकार मांगते है तो सरकार अनसुना कर देती है। परेशान होकर हम रेल या सड़क रोकते है तो आप कहते हो की हमने कानून को हाथ में ले लिया।
उसके बाद जो पुलिस अत्याचार होता है वह किसी से छुपा नहीं है।अपने कानूनी अधिकार के लिए इन सरकारी अधिकारियों से भिड़ने की अब और ऊर्जा नहीं बची है। अधिकारियों के अहंकार के सामने हम हार गए। लेकिन यह अकेली हमारी हार नहीं है, यह देश की संविधान की हार है। आप बताइये कि हमारे पास क्या रास्ता बचा है? अब और सहन नहीं होता। वैसे भी इतना सब सहने के बाद हम ज़िंदा लाश बन गए है। अतः आप से निवेदन है कि आप हमे सामूहिक रूप से आत्महत्या की अनुमति दे।”
इसी बीच आज जींद उपायुक्त व किसानों के बीच अवार्ड में संशोधन को ले कर मीटिंग हुई। मीटिंग में नए मार्किट मूल्य को लेकर अधिकारियों द्वारा कोई घोषणा नही हुई। रमेश दलाल ने अधिकारियों व सरकार से अपील करी की वह किसानों की तकलीफ को समझे तथा जल्द से जल्द अवार्ड में संशोधन कर उचित मार्किट मूल्य की घोषणा करें।